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Saturday, June 26, 2021
पर्यटकीय संभावना भएको ठाउँ- केआई सिंहको गाउँ
Saturday, June 19, 2021
हे ग्राम देवता ! नमस्कार !
Friday, June 18, 2021
इतिहासमा नलेखिएको मधुवा आउजीले नरसिंहा फुकेको रणमैदान
Tuesday, June 15, 2021
शव बाहिनी गंगा
एक साथ सब मुर्दे बोले ‘सब कुछ चंगा-चंगा’
साहेब तुम्हारे रामराज में शव-वाहिनी गंगा ख़त्म हुए शमशान तुम्हारे, ख़त्म काष्ठ की बोरीथके हमारे कंधे सारे, आँखें रह गई कोरी
दर-दर जाकर यमदूत खेले मौत का नाच बेढंगा साहेब तुम्हारे रामराज में शव-वाहिनी गंगा
नित लगातार जलती चिताएँ राहत माँगे पल भर नित
लगातार टूटे चूड़ियाँ कुटती छाति घर घर देख
लपटों को फ़िडल बजाते वाह रे ‘बिल्ला-रंगा’ साहेब तुम्हारे रामराज में शव-वाहिनी गंगा
साहेब तुम्हारे दिव्य वस्त्र, दैदीप्य तुम्हारी ज्योति
काश असलियत लोग समझते, हो तुम पत्थर, ना मोती
हो हिम्मत तो आके बोलो ‘मेरा साहेब नंगा’ साहेब तुम्हारे रामराज में शव-वाहिनी गंगा
=रचनाकार-पारुल खक्खर
(सत्ता हल्लाउने गुजराती कविताको यो हिन्दी अनुवाद कपि पेष्ट गरिएको हो । नजलाइएका थुप्रै लाशहरु गंगामा बगाइएको देखेर यो कालजयि काब्य पंक्ति कोरिएको थियो । )